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राजीव गांधी किसान न्याय योजना एवं सुगंधित धान से खुशहाल हुए किसान

  बेमेतरा:बेमेतरा  के अंतिम छोर पर शिवनाथ नदी के किनारे विख. नवागढ़ के ग्राम अमलडिहा के  गेंदराम वर्मा पिता  गंगाराम वर्मा एक शिक्षित कृषक है...

 


बेमेतरा:बेमेतरा के अंतिम छोर पर शिवनाथ नदी के किनारे विख. नवागढ़ के ग्राम अमलडिहा के  गेंदराम वर्मा पिता  गंगाराम वर्मा एक शिक्षित कृषक है। उनके पास लगभग 4 हेक्टेयर कृषि भूमि है, जिसमे वे सामान्य धान की खेती किया करते थे, परंतु इस वर्ष खरीफ 2022 में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के सलाह से सेवा सहकारी समिति नारायणपुर से सुगंधित धान छ.ग. देवभोग किस्म की खेती करने का निश्चय किया। समिति नारायणपुर से उन्होने ने 4 एकड़ के लिये 120 कि.ग्रा. प्रमाणित बीज प्राप्त किया। जिसे उन्हाने ने रोपा पद्धति से 5 एकड़ में लगाया। उन्होने बताया कि इस धान किस्म का विकास अन्य धान की तुलना में बहुत अधिक था इस धान में 40-45 कैसे प्राप्त हुये एवं बालियों की लंबाई भी अधिक थी. प्रति बाली औसतन 350-450 दाने थे। यह उन्नत किस्म की धान मध्यम अवधि लगभग 140 में तैयार हो जाती है एवं कीट व्याधि भी सामान्य धान की तुलना में बहुत कम थे। फसल कटाई पश्चात उन्हें इस सुगंधित धान से लगभग 24 क्वि. प्रति एकड़ की उपज प्राप्त हुआ।

जैसा कि ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के सलाह अनुसार उन्होने अपने गत वर्ष समिति में विक्रय किये गये रकबे के स्थान पर छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा संचालित राजीव गांधी किसान न्याय योजना में पूरे 5 एकड़ को अन्य सुगंधित धान में पंजीयन कराकर शासन की योजना को सफल बना रहें है। इस योजना के तहत उनको 10 हजार रूपये प्रति एकड़ आदान सहायता के रूप में प्राप्त होगा तथा सुगंधित धान होने की कारण मंडी में धान की कीमत 3000 रूपये प्रति क्वि. से भी अधिक प्राप्त होने का अनुमान है।
कृषक  गेंदराम वर्मा ने बताया कि उन्हे लगभग 110 क्वि. का उपज प्राप्त हुआ है, जिसे वे कुछ मात्रा को छोड़कर बाकी धान को खुले बाजार या मंडी में विक्रय करेंगे एवं उम्मीद है कि उन्हे सुगंधित धान होने के कारण सामान्य धान से 25000 रूपये प्रति एकड ज्यादा लाभ होगा। वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी नवागढ़ श्री आरके चतुर्वेदी ने बताया कि इस योजना के प्रावधानानुसार धान के बदले अन्य दलहन-तिलहन फसल, वृक्षारोपण या सुगंधित धान लगाने वाले कृषकों को राजीव गांधी किसान न्याय योजनांतर्गत 10 हजार रूपये प्रति एकड़ आदान सहायता के रूप में प्रदान किया जाता है।

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