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नोएडा का ट्विन टावर हुआ जमींदोज, सुपरटेक को लगा 500 करोड़ का झटका

  आखिरकार नोएडा का ट्विन टावर ध्वस्त हो गया. टावर बनाने का काम रियलिटी कंपनी सुपरटेक ने पूरा किया था. भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने के बाद मामल...

 



आखिरकार नोएडा का ट्विन टावर ध्वस्त हो गया. टावर बनाने का काम रियलिटी कंपनी सुपरटेक ने पूरा किया था. भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने के बाद मामला पहले निचली अदालत में, फिर हाईकोर्ट और अंत में सुप्रीम कोर्ट में गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इसे तोड़ने का आदेश दिया और रविवार को इसे 12 सेकंड (अंदाजन) में ध्वस्त कर दिया गया. इस घटना के बीच सुपरटेक ने एक बयान में कहा है कि टावर ध्वस्त होने से उसे 500 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. इसमें टावर बनाने से लेकर ब्याज का खर्च भी शामिल है


नोएडा में बने इस ट्विन टावर की ऊंचाई 103 मीटर थी जिसमें दो अलग-अलग टावर एपेक्स और सियान थे. इन दोनों टॉवर को गिराने में 3700 किलो से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया. बताया जा रहा है कि इस टावर को तोड़ने में ही लगभग 20 करोड़ रुपये का खर्च आया है. सुपरटेक की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है, कंपनी को लगभग 500 करोड़ का नुकसान हुआ है. इसमें जमीन खरीद से लेकर निर्माण का खर्च, अथॉरिटी को चुकाई गई अप्रूवल फीस, बैंकों को दिया गया ब्याज और ट्विन टावर में जिन लोगों को फ्लैट दिया गया था उन्हें 12 परसेंट के हिसाब से ब्याज का पूरा खर्च शामिल है.


ये ट्विन टावर नोएडा सेक्टर 93ए में स्थित एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट का हिस्सा था जो कि नोएडा एक्सप्रेसवे पर स्थित है. ट्विन टावर में 900 अपार्टमेंट थे जिनकी मार्केट वैल्यू लगभग 700 करोड़ रुपये है. यह पूरा ट्विन टावर 8 लाख स्क्वायर फुट इलाके में फैला था. कंपनी ने कहा कि नोएडा अथॉरिटी से मिले अप्रूवल प्लान के बाद ही दोनों टावर बनाए गए थे.


क्या कहा सुपरटेक ने

सुपरटेक ने कहा कि इन दो टावरों के गिरने का प्रभाव कंपनी की अन्य रियल एस्टेट परियोजनाओं पर नहीं पड़ेगा और घर खरीदारों को उनके फ्लैट समय पर मुहैया करवाए जाएंगे. दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंची 100 मीटर की इन इमारतों को गिराने के लिए 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाएगा. सुपरटेक ने बयान में कहा, नोएडा स्थित ट्विन टावर एपेक्स और सियान सेक्टर 93ए में एमराल्ड कोर्ट परियोजना का हिस्सा हैं और इन्हें नोएडा प्राधिकरण द्वारा आवंटित भूमि पर बनाया गया. इन दो टावरों समेत हाउसिंग प्रोजेक्ट को नोएडा प्राधिकरण ने 2009 में मंजूरी दी थी और ये राज्य सरकार द्वारा उस समय घोषित नियमों के पूरी तरह से अनुरूप हैं.


कंपनी ने कहा कि कोई भी काम इमारत नियम से परे जाकर नहीं किया गया है और इनका निर्माण नोएडा प्राधिकरण को पूरा भुगतान करने के बाद ही किया गया. उसने कहा, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण को तकनीकी आधार पर संतोषजनक नहीं पाया और इन दो टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया. हम शीर्ष अदालत के आदेश का सम्मान करते हैं और इसके अनुपालन की प्रतिबद्धता जताते हैं.


सुपरटेक ने आगे कहा, हमने घर खरीदारों को 70,000 से अधिक आवास मुहैया कराए हैं और बाकी के घर खरीदारों को भी निर्धारित समयसीमा में घर देंगे. हम सभी घर खरीदारों को भरोसा दिलाना चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अन्य प्रोजेक्ट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और वे सभी परियोजनाएं जारी रहेंगी.



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