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कस्तूरी कॉटन भारत” बनेगा भारतीय शुद्धता, गुणवत्ता और सततता का प्रतीक : गिरिराज सिंह

वस्त्र मंत्रालय और कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (CITI) द्वारा संयुक्त रूप से मंगलवार को ‘विश्व कपास दिवस 2025’ का आयोजन किया गय...


वस्त्र मंत्रालय और कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (CITI) द्वारा संयुक्त रूप से मंगलवार को ‘विश्व कपास दिवस 2025’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का विषय था — “Cotton 2040: Technology, Climate & Competitiveness”। इस अवसर पर केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह और वस्त्र एवं विदेश राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा ने भाग लिया।

केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि “कस्तूरी कॉटन भारत” आने वाले वर्षों में देश का गौरव बनेगा। यह न केवल भारतीय कपास की शुद्धता और गुणवत्ता का प्रतीक है, बल्कि सतत (sustainable) विकास और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

आगे उन्होंने कहा कि भारत सरकार का लक्ष्य 2030 तक 350 अरब अमेरिकी डॉलर का वस्त्र उद्योग और 100 अरब डॉलर का निर्यात हासिल करने के साथ-साथ कार्बन न्यूट्रलिटी प्राप्त करना है। उन्होंने कहा कि “कपास केवल एक फसल नहीं, बल्कि भारतीय कृषि की आत्मा है — यह हमारे किसानों की मेहनत, उम्मीद और धैर्य का प्रतीक है।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संतुलन वस्त्र क्षेत्र के लिए बड़ी चुनौती हैं। इसलिए जल और ऊर्जा का संयमित उपयोग, मिट्टी संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा अपनाना जरूरी है ताकि देश के वर्षा आधारित कपास क्षेत्र सुरक्षित रह सकें और किसानों की मेहनत आने वाली पीढ़ियों के लिए समृद्धि लाए।

उन्होंने बताया कि भारत विश्व के कुल कपास क्षेत्र का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा रखता है, फिर भी उत्पादन लगभग 450 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जो कई देशों के मुकाबले काफी कम है। इसके समाधान के लिए कपास उत्पादकता मिशन पर विचार चल रहा है। साथ ही, सरकार द्वारा पिछले वर्षों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में हुई बढ़ोतरी किसानों के हितों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाती है।

आगे गिरिराज सिंह ने कहा कि भारत के किसान सतत फाइबर उत्पादन में विश्व का नेतृत्व कर सकते हैं। उन्होंने सभी हितधारकों — जिन्नर्स, स्पिनर्स, ब्रांड्स और निर्यातकों — से किसानों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने और “कस्तूरी कॉटन भारत” को मिस्र के गीज़ा या अमेरिकी सुपीमा की तरह वैश्विक पहचान दिलाने का आह्वान किया।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में पबित्रा मार्गेरिटा ने कहा कि भारत को गुणवत्ता, स्थिरता और नैतिक उत्पादन में नेतृत्व हासिल करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने बताया कि ‘5F’ (Farm-Fibre-Factory-Fashion-Foreign) दृष्टिकोण के तहत “कस्तूरी कॉटन” पहल वस्त्र उद्योग को नई दिशा देगी।

वस्त्र सचिव नीलम शमी राव ने बताया कि भारत का कपास क्षेत्र छह मिलियन किसानों की आजीविका से जुड़ा है और 4.5 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देता है। उन्होंने तकनीक आधारित परिवर्तन की आवश्यकता पर बल दिया — जैसे उन्नत कपास प्रजनन, डिजिटल ट्रैसेबिलिटी, और आधुनिक जिनिंग इंफ्रास्ट्रक्चर।

विकास आयुक्त (हैंडलूम्स) डॉ. एम. बीना ने कहा कि मंत्रालय द्वारा ATUFS, PM MITRA, और NTTM जैसी योजनाओं के माध्यम से उद्योग को लगातार सहयोग दिया जा रहा है। वहीं, संयुक्त सचिव पद्मिनी सिंगला ने कहा कि “मिशन फॉर कॉटन प्रोडक्टिविटी” के तहत मंत्रालय उत्पादन, गुणवत्ता और ट्रैसेबिलिटी पर केंद्रित एक समग्र योजना पर कार्य कर रहा है।

कार्यक्रम के समापन पर “कस्तूरी कॉटन भारत” पहल के तहत कई प्रमुख संगठनों — नितिन स्पिनर्स, अरविंद लिमिटेड, आरएसआर इंटरनेशनल, ऑल इंडिया कॉटन एफपीओ एसोसिएशन, बीटल रीजन, होहेनस्टीन, ICAR-CIRCOT और नोएडा अपैरल एक्सपोर्ट क्लस्टर (NAEC) — के साथ वाणिज्यिक एवं सामुदायिक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।


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