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आज से कुटुमसर गुफा का द्वार बंद, कांगेर घाटी प्रबंधन स्थानीय युवाओं को गाइड का देगा प्रशिक्षण

जगदलपुर। कांगेर घाटी स्थित विश्व प्रसिद्ध कुटुमसर गुफा 30 जून से बंद हो रहा है। प्रत्येक वर्ष 15 जून बंद होने वाला यह गुफा बारिश में देरी के...


जगदलपुर। कांगेर घाटी स्थित विश्व प्रसिद्ध कुटुमसर गुफा 30 जून से बंद हो रहा है। प्रत्येक वर्ष 15 जून बंद होने वाला यह गुफा बारिश में देरी के चलते 15 दिन आगे बढ़ा दिया गया था। अब यह गुफा 1 नवंबर को खोली जाएगी जिसके बाद इसे सैलानी देख सकेंगे। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के डायरेक्टर नवीन कुमार ने बताया कि मानसून के दौरान बारिश का पानी गुफा में प्रवेश करता है, जिसके चलते इसे पर्यटकों के लिए बंद कर दिया जाता है।

बरसात में तीरथगढ़ जलप्रपात और अन्य पर्यटन स्थलों का सौदर्य बढ़ जाता है ऐसे में यहां के अन्य पर्यटन स्थल नियमित रूप से चालू रहेंगे। वहीं बरसात में नदी नालों में पानी उफान पर होने की वजह से यहां आने वाले सैेलानियों के लिए कांगेर घाटी प्रबंधन द्वारा सुरक्षा का पर्याप्त इंतजाम किये गये है।

कांगेर के जलप्रपात में सुरक्षा के इंतजाम

मानसून के आगमन के साथ ही कांगेर घाटी का नैसर्गिक सौंदर्य बढ़ जाता हैं। यहां के तीरथगढ़ जलप्रपात सहित शिवगंगा झरना, रानी दरहा, भैसा दरहा, कांगेर धारा के अलावा कांगेरघाटी राष्ट्रीय उद्यान के भीतर चल रहे बैबू राटिंग, कायकिंग सहित अन्य एडवेंचर बारिश के शुरू होने तक जारी रहेंगे। उल्लेखनीय है कि बस्तर में पर्यटन को बढ़ावा देने उद्यान इलाके में बैबू राटिंग, कायकिंग सहित पर्यटकों के लिये ट्रैकिग सहित कई एडवेंचर कार्यक्रम चलाये जा रहे है।

विश्व प्रसिद्ध कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित कुट़ुमसर गुफा की लंबाई 4500 फुट तथा गहराई 60 से 215 फुट तक है। ऐसे में बारिश के दौरान जंगल व पहाडियों का पानी इस गुफा के रास्ते अन्दर प्रवेश करता है और अन्य रास्तों से बाहर निकल जाता है। बरसात का पानी गुफा के भीतर एक नदी के रूप में बहती है। यही वजह है कि प्रति वर्ष बारिश में इस गुफा को बंद कर दिया जाता है। अंधी मछली अलावा विशेष प्रजाति के बड़े झिंगुर भी यहां पाए जाते हैं।

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