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स्थानांतरण में पारिवारिक व स्वास्थ्यगत परिस्थितियों को मिला महत्व

रायपुर। राज्य सरकार ने शासकीय सेवकों के स्थानांतरण को लेकर नई तबादला नीति जारी कर दी है, जिसमें मानवीय आधार, पारिवारिक स्थिति और स्वास्थ्य स...

रायपुर। राज्य सरकार ने शासकीय सेवकों के स्थानांतरण को लेकर नई तबादला नीति जारी कर दी है, जिसमें मानवीय आधार, पारिवारिक स्थिति और स्वास्थ्य संबंधी परिस्थितियों को प्राथमिकता दी गई है।

नीति में स्पष्ट किया गया है कि परस्पर सहमति से स्थानांतरण केवल उन्हीं कर्मचारियों पर लागू होगा जो दो वर्ष या उससे अधिक समय से एक ही स्थान पर पदस्थ हैं।

यदि पति-पत्नी दोनों शासकीय सेवक हैं, तो उन्हें एक ही स्थान पर पदस्थ करने के लिए विभाग सहानुभूति पूर्वक विचार करेगा, हालांकि यह कोई अधिकार नहीं होगा, लेकिन यथासंभव प्रशासनिक सुविधा और जनहित को ध्यान में रखते हुए प्रयास किया जाएगा।

नीति में कहा गया है कि कैंसर, डायलिसिस, ओपन हार्ट सर्जरी जैसी गंभीर बीमारियों की स्थिति में, यदि इलाज की सुविधा मौजूदा स्थान पर उपलब्ध नहीं है, तो जिला मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा पर स्थानांतरण किया जा सकता है।

जिन शासकीय सेवकों की सेवानिवृत्ति में एक वर्ष या उससे कम समय शेष है, उन्हें उनके गृह जिले या विकल्प वाले जिले में पदस्थ किया जा सकेगा, यदि यह प्रशासनिक दृष्टिकोण से उपयुक्त हो।

यदि किसी कर्मचारी के पति/पत्नी या बच्चे मानसिक विकलांगता या बहुआयामी निःशक्तता से पीड़ित हैं, तो वे अपने खर्च पर ऐसे स्थान पर स्थानांतरण के लिए आवेदन कर सकते हैं, जहां इलाज और शिक्षा की सुविधा उपलब्ध हो। इसके लिए मान्यता प्राप्त संस्थान से प्रमाण प्रस्तुत करना होगा।

स्थानांतरण आदेश को संशोधित या निरस्त करने के लिए जिला कलेक्टर के माध्यम से प्रस्ताव भेजना होगा, जिसके बाद प्रशासकीय विभाग और मुख्यमंत्री की मंजूरी से आदेश निरस्त किया जा सकेगा।

नई नीति के अनुसार, स्थानांतरित कर्मचारी को 10 दिनों के भीतर कार्यमुक्त होना जरूरी होगा। तय समय में रिलीव नहीं होने पर अधिकारी एकतरफा आदेश से भारमुक्त कर सकता है, और आदेश को क्रियान्वित माना जाएगा। पालन नहीं करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

यह नीति शासकीय कर्मचारियों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तय करती है और उनकी पारिवारिक व स्वास्थ्यगत परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए संतुलित प्रशासनिक व्यवस्था की ओर एक कदम है।

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