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महाप्रभु की रथयात्रा में दिखा श्रद्धा और भक्ति का महासंगम, डिप्टी सीएम साव ने खींचा रथ

बिलासपुर।  भक्तों की भीड़ मंदिर प्रांगण में उमड़ी, और भगवान जगन्नाथ की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालू उत्सुकता से टूट पड़े। जय जगन्नाथ के जयका...

बिलासपुर।  भक्तों की भीड़ मंदिर प्रांगण में उमड़ी, और भगवान जगन्नाथ की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालू उत्सुकता से टूट पड़े। जय जगन्नाथ के जयकारों से पूरा नगर गूंज उठा और धार्मिक माहौल ने सभी को अभिभूत कर दिया। रथ खींचने के लिए लंबी कतारें लगी रही, जिसमें हर कोई महाप्रभु के रथ को खींचने का सौभाग्य पाना चाहता था।

रथयात्रा के दौरान सड़कों पर जगह-जगह भोग प्रसाद का वितरण किया गया। छेरापहर की परंपरा को निभाते हुए डिप्टी सीएम अरुण साव ने विधिवत पूजा-अर्चना की और रथयात्रा (गुंडिचा) ने नगर भ्रमण किया। परंपरानुसार राजा के रूप में झाडु लगाया। इस मौके पर सूर्य पूजा, नवग्रह पूजा, श्रृंगार और मंगल अर्पण का विशेष आयोजन किया गया, जिससे श्रद्धालुओं को असीम आनंद की अनुभूति हुई।

रथयात्रा की भीड़ इतनी विशाल थी कि नगर की सड़कों पर हर तरफ भक्तों का हुजूम दिखाई दे रहा था। सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के लिए रेलवे सुरक्षा बल और पुलिस विभाग ने व्यापक इंतजाम किए थे। भीड़ के बीच शुरूआत में भक्तों के हाथ से रस्सी भी छूटी। समिति ने तत्काल से बदला।

ब्रम्हमुहुर्त में पूजा-अर्चना प्रारंभ हुआ। पंडित पुजारी गोविंद पाढ़ी ने मंत्र पढ़े।

सुबह की शुरुआत सूर्य पूजा से हुई, जिसमें सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित किया गया।

नवग्रह पूजा का आयोजन हुआ, जिसमें नौ ग्रहों की विशेष पूजा कर आशीर्वाद लिया।

महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा का भव्य श्रृंगार किया गया, दिव्य स्वरूप दिखा।

मंगल अर्पण के साथ विशेष मंत्रों का उच्चारण कर 56 भोग अर्पित किया गया।

कनिका महाप्रसाद का वितरण किया गया। ग्रहण करने भक्तों की भारी भीड़ जुटी।

रथयात्रा के इस भव्य आयोजन ने न्यायधानी के नागरिकों को एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान किया। भक्तों की अपार श्रद्धा और उत्साह ने इस अवसर को और भी यादगार बना दिया। इस वर्ष, रथयात्रा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। हर किसी के चेहरे पर श्रद्धा और भक्ति की चमक स्पष्ट दिख रही थी। रथयात्रा ने न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी एकता और भाईचारे का संदेश दिया।

रथयात्रा श्री जगन्नाथ मंदिर से निकलकर तितली चौक, स्टेशन , तार बाहर, गांधी चौक, दयालबंद, तोरवा थाना काली , मंदिर होते हुए देर शाम ओड़िया स्कूल पहुंची। यहां अस्थाई रूप से गुंडिचा मंदिर का निर्माण किया गया है। इससे पहले रास्ते में जगह-जगह रथ यात्रा का स्वागत किया गया। अलग अलग संगठन, समिति और दलों द्वारा पुष्प वर्षा कर रथ यात्रा का स्वागत किया गया। सभी, रथ यात्रा के रथ की रस्सी खींच कर पुण्य लाभ अर्जन करते दिखे।

रथयात्रा जैसे ही मंदिर परिसर से बाहर निकली, पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। "जय जगन्नाथ", "जय बलभद्र", "जय सुभद्रा" के जयकारों से आसमान गूंज उठा। भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा था। रथयात्रा के मार्ग पर जगह-जगह भक्तों ने भगवान को भोग लगाया और पुष्प वर्षा की।रथ को खींचते हुए अपनी भक्ति का प्रदर्शन किया। भगवान के दिव्य स्वरूप के दर्शन के लिए शहर के कोने-कोने से लोग उमड़े थे।

मान्यता के अनुसार, देव पूर्णिमा के अवसर पर भगवान श्रीश्री जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को पुरोहितों द्वारा 108 कलश जल और 64 प्रकार की जड़ी-बूटियों से महास्नान कराया गया था। इसके बाद, महाप्रभु बीमार हो गए और अणासार कक्ष में विश्राम के लिए चले गए। तब से 14 दिनों के लिए मंदिर का कपाट बंद है। अब, भगवान स्वस्थ होने के बाद उनके नवजोबन रूवरूप के दर्शन हुए।जिसके बाद भक्तों के लिए मंदिर का कपाट भी खुल गया और भक्तों को दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआा।

महाप्रभु रथयात्रा के माध्यम से रात 10 बजे मौसी के बुलावे पर उनके घर गुंडिचा पहुंचे। मान्यता अनुसार यहां मौसी मां के हाथ के बने विशिष्ट पकवान खाकर तीनों भगवान पूर्ण रूप से स्वस्थ हो उठेंगे, जिसके बाद बाहुडा यात्रा कर तीनों एक बार फिर उसी मार्ग से होते हुए श्री जगन्नाथ मंदिर पहुंचेंगे, जहां रूठी हुई देवी लक्ष्मी को मनाने के बाद तीनों पुनः मंदिर प्रवेश करेंगे और फिर मंदिर में ही भक्तों को दर्शन लाभ देंगे।

रथयात्रा के उपलक्ष्य में महापौर रामशरण यादव ने महाप्रभु को फल की टोकरी अर्पित किया। वहीं कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष धर्मेश शर्मा, कांग्रेस कमेटी आयोजन समिति के अध्यक्ष राकेश सिंह, बापी डे, पार्षद अजय यादव, साईं भास्कर, विनोद कछुआ, अरविंद शुक्ला, साकेत मिश्रा, राजा व्यास विजय सिंह निरुपम चक्रवर्ती कार्तिक घोष रेलवे मेंस कांग्रेस के विजय अग्निहोत्री ने भक्तों को भोग का वितरण किया।


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