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कुंवारी कन्याओं ने बरसाई छड़ियां, डेढ़ सौ साल पहले से चली आ रही परंपरा

बलौदा । पंतोरा में शनिवार कुंवारी कन्याओं ने छड़ीमार होली खेली। उन्होंने ग्रामीणों पर जमकर छड़ियां बरसाई और एक दूसरे पर रंग-गुलाल लगाया। रात 8...

बलौदा । पंतोरा में शनिवार कुंवारी कन्याओं ने छड़ीमार होली खेली। उन्होंने ग्रामीणों पर जमकर छड़ियां बरसाई और एक दूसरे पर रंग-गुलाल लगाया। रात 8 बजे तक बाजे-गाजे के साथ कन्याओं की टोली ने गांव में भ्रमण किया और जो राह में मिले, सब पर छड़ियां बरसाई। बलौदा ब्लाक के पंतोरा में कुंवारी कन्याओं की अनोखी छड़ीमार होली धूल पंचमी को मनाई गई। गांव वाले इसे डंगाही त्यौहार कहते हैं। सुबह कुछ ग्रामीण मड़वारानी के जंगल गए और वहां से बांस की छड़ियां काटकर लाए।

दोपहर में मंदिर में छड़ियों की पूजा अर्चना की गई। मंदिर परिसर में शाम 4 बजे 12 साल तक की कुंवारी कन्याएं इकठ्ठी हुई। बैगा दीपत सारथी व पुजारी फिरत केंवट, राजकुमार जायसवाल द्वारा छड़ियों की पूजा के बाद लड़कियां इन छड़ियों को हाथ में लेकर पहले भवानी मंदिर में दाखिल हुई और देवी देवताओं पर छड़ी के प्रहार के साथ छड़ीमार होली शुरु हुई। मंदिर से बाजे-गाजे व रंग गुलाल के साथ ग्रामीणों की टोली के आगे-आगे छड़ी लिए लड़कियां चल रही थी उन्हें रास्ते में जो भी मिले उन पर ये लड़कियां टूट पड़ी।

गांव के सभी लोग अपने-अपने घरों से निकलकर छड़ीमार होली में शामिल हुए। इस दौरान रंग गुलालों की भी बौछार हुई। हाथों में छड़ी लिए लड़कियों की टोली ग्रामीणों के साथ गांव में रात 8 बजे तक भ्रमण कर लोगों पर छड़ियां बरसाती रहीं। ग्रामीणों का विश्वास है कि छड़ीमार होली में जिस पर लड़कियां छड़ी का प्रहार करती हैं, उन्हें सालभर तक कोई बीमारी नहीं होती। जिले में एक मात्र जगह पर यह अनूठी परंपरा है, जिसे देखने पहरिया, बलौदा, कोरबा, जांजगीर सहित आसपास के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। लड़कियों ने उन पर भी छड़ियों से प्रहार किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।

साल भर स्वस्थ रहने की कामना लिए मां अपने दूधमुंहे बच्चों को लेकर घर के सामने लड़कियों की टोली का इंतजार करती रहीं। जैसे ही उनकी टोली घर के सामने पहुंची, बच्चों को उनके सामने कर दिया गया। लड़कियों ने उन पर भी छड़ियां बरसाई।


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