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सिख समाज के प्रत्याशियों को टिकट न देने पर भाजपा से भारी नाराजगी

  सिख समाज को उम्मीद थी कि आने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा सिख प्रत्याशियों को टिकट देगी, लेकिन संभावित सूची में किसी का नाम शामिल न हो...

 


सिख समाज को उम्मीद थी कि आने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा सिख प्रत्याशियों को टिकट देगी, लेकिन संभावित सूची में किसी का नाम शामिल न होने पर सिख समाज में भारी नाराजगी है।


छत्तीसगढ़ सिख संघठन के अधक्ष्य दलजीत सिंह चावला ने कहा आगामी विधानसभा चुनावों के संभावित सूची में किसी भी सिख प्रत्याशी का नाम नहीं होने के कारण भाजपा से नाराज सिख समाज एकात्म परिसर का घेराव करेगा और अपनी मांगें बड़े नेताओं के सामने रखेगा। यह स्थिति सिख समुदाय के भीतर आशंका और आक्रोश का कारण बन गई है।


भाजपा के खिलाफ सिख समाज की नाराजगी का कारण है उनके विधानसभा चुनावों के प्रति उनकी अपेक्षा और आशाएं, जिनका खासकर सिख प्रत्याशियों ने किया था। भाजपा ने सिख समुदाय को उनके निर्वाचनीय अधिकारों से वंचित कर दिया है, जिससे उनकी आस्था और संविदानिक अधिकारों का कुचला जा रहा है।


सिख समाज का दरियादिलपन और सहमति का आदर करने के बावजूद, उनकी आक्रोश और नाराजगी को नकारते हुए, भाजपा ने सिख प्रत्याशियों को अपने चुनावी प्रतिस्पर्धा में शामिल नहीं किया। इसके परिणामस्वरूप, सिख समाज अब भाजपा के खिलाफ एकमत स्वरूप में आवाज उठा रहा है और उनकी मांगें बड़े नेताओं के सामने रख रहा है।


इस नाराजगी का मुख्य कारण है भाजपा के विधानसभा चुनावों के नियमों में सिख समुदाय को नकारने का तरीका। यहां तक कि सिख समाज का कहना है कि भाजपा उनकी प्रतिस्पर्धा को ताक पर रखने के लिए विभागीय दलों को बढ़ावा देने के लिए भी तैयार नहीं है।


सिख समाज के प्रत्याशियों का कहना है कि इस तरह का वितरण उनके प्रतिस्पर्धा के अधिकारों का हनन है और यह सिख समुदाय के सदस्यों के लिए अन्यायपूर्ण है। उनका मानना है कि सिख समाज को उनके प्रतिस्पर्धा में भाग लेने का उचित अवसर देना चाहिए, जिससे वे समाज में और बेहतर स्थान पा सकें।


इसके अलावा, सिख समाज का दावा है कि भाजपा की राजनीतिक रणनीतियों में समुदाय के विचारों और मांगों का उचित स्थान नहीं मिलता है। उनका मानना है कि भाजपा सिर्फ वोट बैंक के रूप में सिख समाज का उपयोग करना चाहती है, लेकिन उनके विकास और समृद्धि के लिए कुछ नहीं कर रही है।


सिख समाज के नेताओं का कहना है कि वे भाजपा के साथ एक बार फिर से समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं और वे अपनी मांगों को सख्ती से आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं।


इसके परिणामस्वरूप, सिख समाज के प्रत्याशियों के बीच एकात्म परिसर का घेराव बढ़ रहा है और उनकी मांगें सार्वजनिक रूप से प्रकट की जा रही हैं। भाजपा को इस नाराजगी का समाधान ढूंढने की आवश्यकता है, अन्यथा वे आने वाले चुनावों में सिख समाज के समर्थन को खो सकते हैं।


सिख समाज के प्रत्याशियों को टिकट न देने का निर्णय भाजपा के लिए एक सख्त चुनौती हो सकता है, और उन्हें समय पर इस समस्या का समाधान ढूंढने की आवश्यकता है। सिख समाज के नेताओं के साथ बातचीत करके और उनकी मांगों को सुनकर भाजपा को समाधान ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए ताकि सिख समाज का समर्थन उनके पक्ष में बना रहे।


छत्तीसगढ़ सिख संघठन मांग करता है की सिख समाज के तीन प्रत्याशियों को टिकट दी जाये 

१) भूपेंदर सिंह सवन्नी (तखतपुर)

२) हरपाल सिंह भामरा (अंबिकापुर)

३) सोनू सलूजा ( रायपुर नार्थ )

४) लखविंदर सिंह गिल ( रायपुर ग्रामीण )

५) इंदरजीत सिंह खालसा (महासमुंद )

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