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Friday, November 7

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चंद्रयान-3 के लैंडिंग से पहले ISRO उठाएगा ये बड़ा कदम

 


Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 धीरे-धीरे चांद की दहलीज पर पहुंच रहा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO शनिवार करीब 2 बजे चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल की दूसरी डीबूस्टिंग करेगा, जिसके बाद ये चंद्रमा के बिल्कुल करीब पहुंच जाएगा. डीबूस्टिंग यानी रफ्तार धीमी करने के बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 30 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 100 किलोमीटर रह जाने की उम्मीद है. डीबूस्टिंग की ये प्रक्रिया लैंडर में लगे थ्रस्टर के ज़रिए पूरी की जाएगा. इस प्रोसेस में यान के चलने की दिशा के अपोजिट डायरेक्शन में थ्रस्टर फायर करके स्पीड कम की जाएगी.

दरअसल, चंद्रयान के लैंडर के चार पैरों के पास 800 न्यूटन शक्ति के एक-एक थ्रस्टर लगे हैं. इन्हीं की मदद से लैंडर मॉड्यूल की स्पीड कम करके निचली कक्षा में पहुंचाया जाएगा. इसके दो-दो थ्रस्टर 2 चरणों में काम करेंगे. दूसरी डीबूस्टिंग के बाद लैंडर मॉड्यूल चन्द्रमा की सबसे निचली कक्षा में पहुंच जाएगा. इस सबसे कम दूरी से ही 23 अगस्त को शाम करीब 6 बजे विक्रम लैंडर चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा. इसरो के मुताबिक चंद्रयान-3 के साथ भेजा गया विक्रम लैंडर अब तक योजना के मुताबिक ठीक तरीके से चांद की ओर बढ़ रहा है. शुक्रवार को हुई पहली डीबूस्टिंग के बाद लैंडर माड्यूल चांद के और करीब पहुंच गया है.

फिलहाल लैंडर मॉड्यूल की चंद्रमा से सबसे कम दूरी 113 किलोमीटर और सबसे ज्यादा दूरी 157 किलोमीटर है. इसरो ने 18 अगस्त को डीबूस्टिंग के जरिए लैंडर की ऑर्बिट घटाई थी. पहली डीबूस्टिंग के बाद ISRO ने बताया कि अब तक सबकुछ सामान्य और स्थिर है, लेकिन आने वाले कुछ घंटे काफी अहम होने वाले हैं. इससे पहले 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर-रोवर से अलग किया गया था. इस दौरान लैंडर पर लगे कैमरे ने प्रोपल्शन मॉड्यूल की फोटो के साथ चंद्रमा की भी तस्वीरें खींचीं.

ISRO ने बताया कि लैंडर विक्रम की रफ्तार कम की जा रही है और अब वो धीरे-धीरे नीचे आने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है. ISRO के मुताबिक 18 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 50 मिनट पर Lander विक्रम सतह से अपनी दूरी भी कम करता जा रहा है. फिलहाल सतह से उसकी अधिकतम दूरी 157 किलोमीटर और निकटतम दूरी 113 किलोमीटर है.

इससे पहले चंद्रमा की ऑर्बिट में प्रवेश करते समय भी चंद्रयान के ऑनबोर्ड कैमरों ने चांद की तस्वीरें कैप्चर की थीं. जिन्हें इसरो ने दुनिया के सामने पेश किया था. चन्द्रयान के लिए अगले चार दिन काफी चुनौतीपूर्ण हैं क्योंकि उसके लैंडर मॉड्यूल को चांद की सतह पर लैंड करना है. इस दौरान उसकी स्पीड लगातार कम की जाएगी और 23 तारीख की शाम करीब 6 बजे वो चांद की सतह पर उतरेगा.

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