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सोनमती ने लिखी आत्मनिर्भरता की नई कहानी

    हौसले और हुनर को निखरने के लिए अवसर की तलाश होती है। छत्तीसगढ़ की मेहनती महिलाओं को ऐसा ही अवसर गौठानों में बनाए गए मल्टीएक्टिविटी सेंटर ...

 


 हौसले और हुनर को निखरने के लिए अवसर की तलाश होती है। छत्तीसगढ़ की मेहनती महिलाओं को ऐसा ही अवसर गौठानों में बनाए गए मल्टीएक्टिविटी सेंटर दे रहे हैं। इससे वे आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिख रही हैं। इन्हीं में से बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के ग्राम बसन्तपुर के गौठान में संचालित सामुदायिक बाड़ी में काम करने वाली आकाश महिला स्व-सहायता समूह की सदस्य सोनमती कुशवाहा भी हैं, जिन्होंने मशरूम उत्पादन कर पिछले 3 वर्षों में 7 लाख रुपये कमाए हैं। इससे उनमें न सिर्फ आत्मविश्वास बढ़ा है, बल्कि वह परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा कर पाने में सक्षम हो गई हैं।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा हमेशा महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की रही है। इसके लिए गौठानों को मल्टीएक्टिविटी सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं को आजीविका संवर्धन के लिए प्रशिक्षण दे कर स्वावलंबन की राह बताई जा रही है। 
इसी कड़ी में बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में महिला समूहों को उद्यान विभाग द्वारा प्रशिक्षण, मार्गदर्शन देकर मशरूम उत्पादन हेतु निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है। विभाग द्वारा मशरूम की खेती के लिए आवश्यक सामग्री जैसे- बीज, पॉलीथीन बैग्स, चाक पाउडर भी महिलाओं को उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इससे बसन्तपुर गौठान के सामुदायिक बाड़ी में कार्यरत आकाश महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं भी अब मशरूम की खेती, मधुमक्खी पालन और कश्मीरी मिर्च का उत्पादन कर स्वावलंबी बन रही हैं।
आकाश महिला समूह की सदस्य  सोनमती कुशवाहा बताती हैं कि पहले वे सामान्य खेती-बाड़ी करके जीवन यापन करती थीं। इससे उन्हें परिवार के पालन-पोषण, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का खर्च वहन करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी सुराजी ग्राम योजना के तहत बसन्तपुर में गौठान खुला और बिहान के माध्यम से जुड़ने का मौका मिला। इसके बाद गौठान में उन्हें उद्यान विभाग द्वारा मशरूम उत्पादन, कश्मीरी मिर्च की खेती, मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया गया।
समूह से लोन लेकर घर पर ही शुरू की मशरूम खेती
      सोनमती कुशवाहा ने बताया कि उन्होंने समूह से 60 हजार रुपये का लोन लेकर घर पर ही मशरूम की खेती की और शुरुआती दौर में ही 2 लाख रुपये की आमदनी हुई। इससे उनके हौसले को नई उड़ान मिली। इसके बाद उन्होंने मधुमक्खी पालन और कश्मीरी मिर्च की खेती का कार्य भी प्रारंभ किया और मधुमक्खी पालन से उन्होंने 60 किलोग्राम शहद का उत्पादन कर 70 हजार रूपए आर्थिक आमदनी प्राप्त की। श्रीमती कुशवाहा ने बताया कि मशरूम की खेती से प्रतिदिन 20 से 30 किलो मशरूम का उत्पादन हो रहा है, जिसे बेचकर विगत 3 वर्षों में 7 लाख रुपये की आय अर्जित की हैं तथा अपने परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा कर रही हैं।

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