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वर्मी खाद के उपयोग ने सिखाया जैविक कृषि का महत्व, किसान सत्यनारायण ने कहा - वर्मी खाद के उपयोग से धान की रही अच्छी पैदावार

  जैविक खेती की ओर किसानों के बढ़ते रुझान के कारण जिले में वर्मी खाद की खरीदी में इजाफा हो रहा है। कोरिया जिले के 250 गौठानों में वर्मी खाद क...

 


जैविक खेती की ओर किसानों के बढ़ते रुझान के कारण जिले में वर्मी खाद की खरीदी में इजाफा हो रहा है। कोरिया जिले के 250 गौठानों में वर्मी खाद का निर्माण कर उसे सहकारी साख समितियों के माध्यम से किसानों को बेचा जा रहा है। लंबे समय से खेती से जुड़े उन्नत किसान इसे आगे बढ़कर उपयोग कर रहे हैं। कृषि विभाग के उप संचालक श्री पी एस दीवान ने बताया कि खरीफ सीजन 2022 में अब तक कोरिया जिले में सहकारी समितियों के द्वारा 30 हजार 649 क्विंटल वर्मी एवं सुपर कम्पोस्ट का भण्डारण किया जा चुका है वहीं जिले में 7 हजार 156 किसानों ने सहकारी साख समितियों के माध्यम से 26 हजार 452 क्विंटल वर्मी खाद अपने खेतों में उपयोग के लिए खरीद लिया है।

चिरमी के किसान श्री केवला सिंह ने खेतों में डालने के लिए सर्वाधिक 37 क्विंटल खाद समिति से ली है। इसी तरह चैनपुर के किसान श्री हरिचरण ने 23 क्विंटल और चिरमी के किसान छोटे लाल ने 14.7 क्विंटल खाद समिति से उठाव किया है। ग्राम उजियारपुर के किसान सुखराम बताते हैं कि बीते वर्ष भी उन्होंने लगभग 20 बोरी खाद की थी और खाद की अच्छी गुणवत्ता को देखते हुए इस बार भी उन्होंने खाद उठाव किया है। इसी तरह नागपुर के किसान श्री सत्यनारायण साहू बताते हैं कि वर्मी खाद के उपयोग से उनकी धान की अच्छी पैदावार रही, वे सब्जी उत्पादन में भी खाद का उपयोग कर रहे हैं। ग्राम लाई के किसान रामचंद्र सब्जियों के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए वर्मी खाद को सबसे बेहतर मानते हैं।

किसान बताते हैं कि सहकारी साख समितियों में गुणवत्तापूर्ण वर्मी खाद आसानी से उपलब्ध हो रही है जिससे साथी किसान भी जैविक कृषि की ओर बढ़ रहे हैं। रासायनिक खाद की मात्रा कम करते हुए इसका ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर रहे हैं जिससे जमीन में उर्वरता बनी रहे। कृषि अधिकारियों ने किसानों को अपने खेतों में प्रत्येक फसल के पहले वर्मी खाद के ज्यादा से ज्यादा उपयोग के लिए अपील की है।

वर्मी खाद की संभागस्तरीय प्रयोगशाला में गुणवत्ता जांच के बाद ही पैकिंग

गौठानों में वर्मी खाद का निर्माण कर उसे सहकारी साख समितियों के माध्यम से किसानों को बेचा जा रहा है। इस संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए कृषि विभाग के उप संचालक श्री पी एस दीवान ने बताया कि कोरिया जिले के 250 गौठानों में गोबर से वर्मी खाद मे बनाया जा रहा है। इसके लिए निर्धारित प्रक्रिया का पूरा पालन किया जा रहा है। किसानों व पशुपालकों से खरीदे गए गोबर से खाद बनाने की यह प्रक्रिया लगभग ढाई से तीन माह में पूरी हो जाती है। इसके बाद वर्मी खाद की छनाई की जाती है। इससे कंकड़ पत्थर सहित पूरे केंचुए खाद से अलग हो जाते हैं और हमें साफ वर्मी खाद प्राप्त हो जाती है। राज्य शासन के निर्देशानुसार कोरिया जिले में खाद निर्माण के बाद गुणवत्ता जांच के लिए अम्बिकापुर स्थित टेस्टिंग लैबोरेट्री भेजा जाता है और वहां से गुणवत्ता परीक्षण में मानक मिलने के बाद ही इस खाद की पैकिंग भी महिलाओं के समूहों के माध्यम से कराई जा रही है। इसके बाद सहकारी साख समितियों को इस खाद के विक्रय हेतु उपलब्ध कराया जा रहा है।

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