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राज्य स्तरीय किसान मेले में खेती-किसानी की प्रदर्शनी देखने उमड़ी भीड़,खेती-किसानी को समृद्ध बनाने उपायों के प्रति किसानों को जागरूक करना मेले का उद्देश्य

 बिलासपुर के साईंस कॉलेज मैदान में 13 अप्रैल से शुरू हुए तीन दिवसीय किसान मेले में राज्य में खेती-किसानी से किसानों के जीवन में आए बदलाव और...



 बिलासपुर के साईंस कॉलेज मैदान में 13 अप्रैल से शुरू हुए तीन दिवसीय किसान मेले में राज्य में खेती-किसानी से किसानों के जीवन में आए बदलाव और खुशहाली का नजारा चहुओर दिखाई दे रहा है। राज्य भर के किसान और किसान संगठनों से जुड़े लोग मेले में पहुंचकर कृषि के क्षेत्र में हुए नवाचार और नयी तकनीक के बारे में जानकारी हासिल कर रहे है। 13 अप्रैल से आयोजित किसान मेले में बड़ी संख्या में किसान अपनी सहभागिता निभाने के साथ ही खेती-किसानी के नवाचार, तकनीक, उत्पादन और मार्केटिंग के बारे में भी अपने अनुभवों को साझा कर रहे हैं।


मेले के उद्घाटन दिवस पर कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मछली पालन एवं कृषि के अन्य गतिविधियों से जुड़े लगभग 30 हजार से अधिक कृषको ने पंजीयन कराया। कृषि एवं उद्यानिकी विभाग की जीवंत प्रदर्शनी को देखने कृषि महाविद्यालय के विद्यार्थी एवं कृषक बड़ी संख्या में मेला स्थल पहुंचे। उद्यानिकी विभाग द्वारा यहां लगाई गई बागवानी की जीवंत प्रदर्शनी में साग-सब्जी, फल, फूल की खेती के साथ जेरेनियम, चाय एवं काफी की खेती का भी प्रदर्शन किया गया है। उद्यानिकी विभाग के स्टॉल में विभागीय योजना की बुकलेट के साथ बागवानी की महत्वपूर्ण जानकारी वाला नोटपैड भी वितरित किया जा रहा है। उद्यानिकी के स्टॉल्स में विभिन्न प्रकार के पुष्प जैसे जरबेरा, रजनीगंधा, ऑर्किड्स, गुलाब, गेंदा आदि प्रदर्शित किए गए। सब्जी के स्टॉल में नारंगी रंग की जुकिनी, डांगकांदा, गोभी आदि प्रदर्शित की गई। फलों में क्रिकेट बॉल वैरायटी का चीकू, तरबूज, खरबूजा, केले का गुच्छ एवं नारियल आदि प्रदर्शित किए गए हैं।


छत्तीसगढ़ शासन के कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित इस तीन दिवसीय राज्य स्तरीय किसान मेले का उद्देश्य ग्रामीण अंचल में जल संचयन एवं संवर्धन हेतु लोगों को जागरूक कर राज्य में द्विफसलीय क्षेत्र का विस्तार करना, खुली चराई प्रथा पर रोक, पशु संरक्षण एवं संवर्धन के साथ-साथ नस्ल सुधार, उन्नत कृषि तकनीक का उपयोग, वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन एवं खेती-किसानी में उपयोग कर रायसानिक उर्वरक की निर्भरता तथा खेती की लागत को कम करना और भूमि की उर्वरा शक्ति को बेहतर बनाकर गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त करना हैं। इसके अलावा प्रगतिशील कृषक, कृषक उत्पादक समूह एवं महिला समूहों के विशिष्ट उत्पादों का प्रदर्शन एवं विक्रय, शासकीय योजनाओं का प्रचार-प्रसार, प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ावा देना भी इस तीन दिवसीय किसान मेले का उद्देश्य है।


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