रायपुर। छत्तीसगढ़ सिख ऑफिसर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह की जयंती पर सामान्य अवकाश घोषित करने की मांग ...
रायपुर। छत्तीसगढ़ सिख ऑफिसर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह की जयंती पर सामान्य अवकाश घोषित करने की मांग की है। गत दिनों एसोसियेशन ने विधानसभा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक ज्ञापन सौंपा। छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष और रायपुर उत्तर के विधायक कुलदीप सिंह जुनेजा के नेतृत्व में एसोसियेशन के पदाधिकारी सरदार अवतार सिंह प्लाहा और सचिव जगपाल सिंह ने मुख्यमंत्री से अनुऱोध किया कि हिन्दुओं की रक्षा करने वाले सिक्खों के गुरु जिन्हें संत और सिपाही और महान योध्दा के रुप में भी जाना जाता है, उन्होंने धर्म का रक्षा के लिए अपना पूरा परिवार बलिदान कर दिया। ऐसे संत और सिपाही, वीर योध्दा के जयंती पर एक दिन का सामान्य अवकाश प्रदान करें, ताकि उनके अनुयायी और राज्य की जनता उनकी शिक्षा और दिखाये मार्ग को आत्मसात कर अपने जीवन को और बेहतर बनाए।
छत्तीसगढ़ सिख ऑफिसर्स वेलफेयर ने अपने ज्ञापन में कहा कि छत्तीसगढ़ के माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गतिशील एवं कुशल नेतृत्व में छत्तीसगढ़ के विकास एवं सामाजिक समरसता के लिए किए जा रहे प्रयासों में यहां का सिक्ख समाज भी निरंतर सहभागी है। एसोसियेशन अपने ज्ञापन में कहा है कि सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह ने देश में हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपना पूरा परिवार का न्यौछवर कर दिया। उनके पिता सिक्खों के नौवें गुरु श्री गुरुतेग बहादुर ने कश्मीरी हिन्दुओं की रक्षा के लिए अपनी शहादत दी। उनके दो बड़े पुत्रों साहिबजादा अजीत सिंह और साहिबजादा जुझार सिंह चमकौर के युद्ध में मुगल सेना से युद्ध करते हुए शहीद हुए। दो छोटे पुत्र जोरावर सिंह और फतेह सिंह को मुगलों ने ईंट की दीवारों में जिन्दा चुनवा दिया।
गुरु गोविन्द सिंह ने अपने जीवन में अत्याचारी मुगल राजाओं से आम जनता की रक्षा के लिए अपना जीवन लगा दिया। उन्होंने लोगों को मुगल सेना के अन्याय के खिलाफ खड़ा किया और कई युध्द करते हुए अपने त्याग और वीरती की मिसाल कायम की। श्री गुरु गोविन्द सिंह ने सन् 1699 में सिक्ख धर्म की स्थापना की। वे एक बहादुर योध्दा होने के साथ साथ एक महान कर्मप्रणेता, अव्दितयी धर्मरक्षक, ओजस्वी वीर रस के कवि थे। उनमें भक्ति और शक्ति, ज्ञान और वैराग्य, मानव समजा का उत्थान, धर्म और राष्ट्र के नैतिक मूल्यों की रक्षा हेतु त्याग एवं बलिदान की की मानसिकता से ओतप्रोत अट्टू निष्ठा तथा दृढ़ संकल्प की अद्भुत प्रधानता थी। उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य था कि आम लोगों का जीवन धार्मिक, नैतिक और व्यावहारिक बनाया जाए।
No comments