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छत्तीसगढ़- वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट की चेतावनी- नई खदाने खुलीं तो होंगे भयानक परिणाम

सिंहदेव बोले- नो-गो एरिया ही बचाव का एकमात्र तरीका… रायपुर: भारतीय वन्य जीव संस्थान की एक रिपोर्ट के बाद केंद्र और राज्य सरकारें घिरती नजर आ...



सिंहदेव बोले- नो-गो एरिया ही बचाव का एकमात्र तरीका…

रायपुर: भारतीय वन्य जीव संस्थान की एक रिपोर्ट के बाद केंद्र और राज्य सरकारें घिरती नजर आ रही हैं। WII ने अपनी अध्ययन रिपोर्ट में साफ किया है कि हसदेव अरण्य क्षेत्र में नई खदानों को अनुमति दी गई तो उसके भयानक परिणाम होंगे। इस रिपोर्ट के आधार पर छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव कहा है कि हसदेव के बचाव के लिए नो-गो एरिया ही एकमात्र तरीका है।

मंत्री टीएस सिंहदेव ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर लिखा, भारतीय वन्यजीव संस्थान की रिपोर्ट नो-गो के रुख की पुष्टि करती है। यह हसदेव क्षेत्र को बचाने का एकमात्र तरीका है। मेरी इच्छा है कि इन सुझावों को नीतिगत निर्णयों के रूप में लागू किया जाए जैसा कि यूपीए सरकार के समय जयराम रमेश जी द्वारा किया गया था।

हाथी-मानव द्वंद बढ़ेगा

हसदेव अरण्य कोलफील्ड की जैव विविधता का और वहां के जीवों पर पड़ने वाले असर का अध्ययन करने के बाद भारतीय वन्यजीव संस्थान ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट सौंपी है। 277 पेज की रिपोर्ट में कहा गया कि देश के एक प्रतिशत हाथी छत्तीसगढ़ में हैं। वहीं हाथियों और इंसानों के संघर्ष में 15% जनहानि केवल छत्तीसगढ़ में होती है। किसी एक स्थान पर कोयला खदान चालू की जाती है तो हाथी वहां से हटने को मजबूर हो जाते हैं। वे दूसरे स्थान पर पहुंचने लगते हैं, जिससे नए स्थान पर हाथी-मानव द्वंद बढ़ता है। ऐसे में हाथियों के अखंड आवास, हसदेव अरण्य कोल्ड फील्ड क्षेत्र में नई माइन खोलने से दूसरे क्षेत्रों में मानव-हाथी द्वंद इतना बढ़ेगा कि राज्य को संभालना मुश्किल हो जाएगा।

3 जिलों का क्षेत्र

हसदेव अरण्य कोलफील्ड, छत्तीसगढ़ के सरगुजा, सूरजपुर और कोरबा जिले में फैला बहुमूल्य जैव विविधता वाला वन क्षेत्र है। इसमें परसा, परसा ईस्ट केते बासन, तारा सेंट्रल और केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक आते हैं। वर्तमान में सिर्फ परसा ईस्ट केते बासन में खनन चल रहा है। स्थानीय आदिवासी ग्रामीण इस जंगल को बचाने के लिए पिछले महीने 300 किलोमीटर पैदल चलकर राजधानी पहुंचे थे। उन्होंने राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिलकर वहां खनन रुकवाने की मांग की थी। टीएस सिंहदेव ने उस समय भी उनका समर्थन किया।

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