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युद्ध के लिए रिजर्व तेल इस्तेमाल कर महंगाई से निपटेगा अमेरिका; रूस, सऊदी अरब जैसे देश क्यों कर रहे विरोध?

अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में महंगाई के रिकॉर्ड टूट रहे हैं। इससे निपटने के लिए अमेरिका की बाइडेन सरकार अपने स्ट्रैटजिक पेट्रोलियम रिज...




अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में महंगाई के रिकॉर्ड टूट रहे हैं। इससे निपटने के लिए अमेरिका की बाइडेन सरकार अपने स्ट्रैटजिक पेट्रोलियम रिजर्व (SPR) के इस्तेमाल पर विचार कर रही है। अगर ऐसा होता है तो तेल की कीमतें कम होंगी। तेल की कीमतें कम होने से महंगाई पर भी नियंत्रण हो सकता है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिका का ये कदम अमेरिकी तेल की कीमतों पर लॉन्ग टर्म इम्पैक्ट नहीं डालेगा, जो अक्टूबर में ही पिछले सात साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थीं। उस वक्त अमेरिकी तेल 85 डॉलर प्रति बैरल हो गया था।

अमेरिका पेट्रोलियम पदार्थों में कितनी हिस्सेदारी रखता है? क्या अमेरिका के इस कदम से महंगाई कम हो सकती है? क्या पहले भी अमेरिका कभी इस तरह के कदम उठाए हैं, अगर हां तो उसका असर क्या हुआ है? भारत समेत दुनिया के बाकी देशों पर इसका क्या असर पड़ेगा? जो अन्य तेल उत्पादक देश हैं उन पर इसका क्या असर होगा? 

दरअसल, अमेरिका में अगले साल मध्यावधि चुनाव होने हैं। उससे पहले बाइडेन प्रशासन महंगाई को लेकर हो रही आलोचना को कम करने में लगा हुआ है। ये कदम उसी कड़ी में उठाया गया है। इसके साथ ही बाइडेन सरकार को ये कहने का भी मौका मिल जाएगा कि अमेरिका रूस और सऊदी अरब के दबाव में नहीं आया। ये दोनों देश तेल निर्यातक देशों के समूह ओपेक+ का हिस्सा हैं। दोनों ही देशों ने वैश्विक बाजार में अधिक तेल पंप करने के अमेरिकी कॉल का विरोध किया था।

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