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 शादी-ब्याह पर भी महंगाई का असर नई दिल्ली कोरोना काल में पिछले साल तो शादी-ब्याह से जुड़े कारोबारियों का बाजा बज गया था। कोरोना की दोनों लहर...

 शादी-ब्याह पर भी महंगाई का असर

नई दिल्ली

कोरोना काल में पिछले साल तो शादी-ब्याह से जुड़े कारोबारियों का बाजा बज गया था। कोरोना की दोनों लहरों के बीच कड़े प्रतिबंधों के बीच कुछ लोगों ने शादी तो की, लेकिन सीमित गेस्ट के साथ। भारत की शादी जिस तरह से ताम-झाम के बीच होती है, वह तो बिल्कुल सीन से गायब ही था। इस साल कुछ प्रतिबंधों के बीच ही सही, शादियों का मौसम शुरू हो गया है। लेकिन इस साल शादी का खर्च 20 से 30 फीसदी तक बढ़ गया है। टेंट, बाजा-बत्ती, हलवाई आदि की बात करें तो इस मद में तो 100 फीसदी तक ज्यादा खर्च हो रहा है।





 

महंगा हो गया बैंक्वेट हॉल का किराया

बैंक्वेट हॉल में शादी पहले बड़े शहरों में ही होती थी। लेकिन अब इसका चलन छोटे शहरों और कस्बों में भी खूब हो गया है। कस्बों में पहले जो बेंक्वेट हाल एक से डेढ़ हजार रुपये के किराये में मिल जाता था, वह बढ़ कर दो लाख रुपये से ढाई लाख रुपये तक पहुंच गया है। बड़े शहरों में इस तरह के बैंक्वेट हॉल पहले तीन से चार लाख रुपये के किराये पर मिल जाते थे। इनका किराया भी अब बढ़ कर छह से आठ लाख रुपये हो गया है। बड़े होटलों में इन दिनों ढाई हजार रुपये प्रति प्लेट से कम में बुकिंग नहीं हो रही है। पहले यह बुकिंग 1,200 से 1,800 रुपये प्रति प्लेट में हो जाती थी।

टेंट और कुर्सियों का किराया भी बढ़ा

गाजियाबाद में बीते दिन ही अपनी बेटी की शादी करने वाले गजेंद्र सिंह बताते हैं कि सिर्फ बैंक्वेट हॉल ही नहीं, टेंट और कुर्सी आदि का भी किराया बढ़ गया है। कारोना काल से पहले उनके यहां एक फंक्शन में 15 फुट गुना 15 फुट का एक टेंट लगवाया गया था। उसका किराया 300 रुपये लिया गया था। अब इसी साइज के टेंट का किराया बढ़ कर 750 रुपये हो गया है। इसी तरह कोरोना से पहले एक कुर्सी का किराया 10 से 15 रुपये था। अभी वह बढ़ कर 25 रुपये प्रति कुर्सी प्रति दिन हो गया है।

हलवाइयों का भी रेट हो गया महंगा

जिनके यहां शादी होती है, उनके यहां हलवाइयों की बुकिंग भी जरूरी है। अब तो शादी से दो दिन पहले और शादी के दो दिन बाद तक की बुकिंग होने लगी है, ताकि गेस्ट को खाने-पीने में दिक्कत नहीं हो। गजेंद्र सिंह ने बताया कि उनके यहां शादी से दो दिन पहले से तीन हलवाइयों को रखा गया है। उन्हें हर रोज के लिए 1000 रुपये का भुगतान करना पड़ा है। पहले हलवाई हर रोज के लिए 600 से 700 रुपये लेते थे। इसी तरह हलवाइयों के हेल्पर का भी रेट चढ़ गया है।

बैंड-बाजा भी हो गया है खूब महंगा

शादी हो और बैंड बाजा नहीं हो, ऐसा हो ही नहीं सकता है। बारात के समय आने वाली जिस बैंड पार्टी की बुकिंग 2,5000 रुपये तक में हो जाती थी, वह आज 50 हजार रुपये से कम पर तैयार ही नहीं होते। शादी वाले दिन घर में रात भर रह कर बाजा बजाने वाले दो—तीन लोगों की टीम की बुकिंग दो—तीन हजार रुपये में हो जाती थी। वे इस समय 5,000 रुपये से कम पर मान ही नहीं रहे हैं।

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